बुधवार, 8 नवंबर 2017

पोनू का दाखिला/एक मौक़ा दीजिए (नाटक)


लेखक-भारतेंदु मिश्र 

(परवेज उर्फ़ पोनू एक नेत्रहीन बालक है| उसकी विधवा मा उस बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए बहुत परेशान है,स्थान दिल्ली  की एक सामान्य किन्तु मलिन बस्ती –शास्त्री पार्क| घर का सीन )
जरीन: क्या बताऊ ?...सब तरफ से हार गयी हूँ ..कोई मेरे बेटे  का दाखिला  नहीं  करता|(घर में बर्तन साफ़ करते हुए बार बार आंसू निकल आते हैं |)
नजमा: (अखबार का पन्ना लेकर )..अम्मी...ओ अम्मी!...अखबार देखा  आपने..?
जरीन: अरे ..रहने  दे ,कंही  भूकंप आया होगा,कोई हादसा होगा...  किसी की मौत की खबर  होगी ?..अच्छी  खबर  तो कुछ  होती  नहीं ..
नजमा: नहीं..अम्मी !सरकार ने विज्ञापन निकाला है |अब  ब्लाइंड बच्चे भी अपने घर के करीब के स्कूल में पढ़ाई कर सकेंगे..
जरीन: (झाडू फेक कर नजमा को गले लगाते हुए )..हाय...नजमा ! तू सच कह रही है ?...हाय ,अल्ला!..
नजमा: हाँ !..अम्मी मैं सच कह रही हूँ |ये अखबार में लिखा है..
जरीन: काश!...मेरे परवेज का दाखिला  हो जाए..
नजमा: चलिए ..अमजद  के स्कूल चलते हैं |दोनों भाई एक साथ जाया करेंगे...
जरीन: चल बेटा!..पोनू ! स्कूल चलते हैं|
(स्कूल पहुंचकर ,दाखिला इंचार्ज  के पास..)
जरीन: नमस्ते ,साहब!
इंचार्ज: जी नमस्ते,
जरीन: साब,मेरे लडके  का दाखिला करना है| रजिस्ट्रेशन कर लीजिए..
(बिना सर उठाये..लिखते हुए )
इंचार्ज: जी,बच्चे  का  नाम ?
जरीन: जी परवेज,..
इंचार्ज: उम्र ?
जरीन: 12 साल|
इंचार्ज:(सर उठाकर..) कहाँ है बच्चा ?
जरीन: जी! साब,ये रहा ...
इंचार्ज: बहन जी ये तो ब्लाइंड हैं ?
नजमा: तो क्या हुआ?..अखबार में आया है सभी  तरह  के बच्चे घर के पास के स्कूल में पढ़ सकते हैं |
इंचार्ज: ठीक  है ,मै ..तो कह नहीं सकता, आइए ..आप हमारे प्रिसिपल साहब से मिल लीजिए..
नजमा : जी ठीक  है..
(दाखिला इंचार्ज के साथ तीनो प्रिंसिपल के कमरे की ओर जाते हैं|)
इंचार्ज: (चपरासी  से ) रामलाल!..साहब  हैं?
रामलाल : बैठे हैं ,जाइए..
इंचार्ज: (भीतर जा कर ) सर! ये बहन जी इस ब्लाइंड बच्चे के दाखिले के लिए आयी हैं ...
प्रिंसिपल: जी बताए ...
जरीन: साहब ! हमारा एक बच्चा  यही पढ़ता है..मेरे इस बच्चे  का भी दाखिला कर लीजिए..दोनों भाई साथ आ जाया करेंगे ..
नजमा: सर! ..ये देखिए ..आज के अखबार में भी विज्ञापन निकला है..
प्रिसिपल: देखिए ये नामुमकिन है..आपका वो बच्चा नार्मल है| ये ब्लाइंड है|..इसे ब्लाइंड स्कूल  में ले जाइए..
नजमा: लेकिन सर! ये अखबार..
प्रिंसिपल: जाइए..हमारा समय  बर्बाद मत कीजिए..
नजमा: लेकिन सर! ये विज्ञापन ...
प्रिंसिपल: तो जाइए ...अखबार वालो के पास जाइए ..हमारा समय बर्बाद मत कीजिए..रामलाल!..इन्हें बाहर करो..
जरीन: साहबा  मेहेरबानी कीजिए..
रामलाल: आपको समझ नहीं आता...साहब  बहुत बिजी हैं ..चलिए  बाहर चलिए..|
 (घर वापस आकर,दूसरे दिन )
नजमा; अम्मी!..आपने हमारे कपडे प्रेस नहीं किए..आप हमारा कोई काम नहीं करती हैं ...
जरीन: हाँ नहीं किए..तू अपना काम खुद कर लिया कर..अब बड़ी हो गयी है...आज छुट्टी के दिन तुझे कहा जाना है ?
नजमा: मुझे मूवी देखने जाना है...
जरीन: अभी पिछले महीने तो गयी थी..
नजमा: तो क्या हुआ अब बजरंगी भाईजान नई मूवी देखने जा रही हूँ |
अजहर : मै  भी चलूँगा,आपा!..
नजमा: मै अपनी सहेली के साथ जा रही हूँ ..तू कहाँ कबाब में हड्डी बनेगा ?
पोनू : आपा! आपा! ..मुझे भी ले चलो..
नजमा : लो कर लो बात..हाय,अल्ला, आँखों से दिखाई नहीं देता ...मूवी  देखेंगा..
जरीन: जाना है तो तीनो साथ जायेंगे..
नजमा: पोनू को तो नहीं ले जाऊगी ..मै इसको पकड़ के घूमूंगी कि मूवी देखूंगी..न..अम्मी ...  इसे नहीं ले जाऊंगी|
अजहर: ले चलते  हैं ..हम दोनों मिलके संभाल लेंगे..
नजमा: तू अकेले संभाल सके तो ले चल, मै तो नहीं ले जाऊंगी..
(जरीन के बार बार कहने पर भी नजमा और अजहर पोनू को रोता हुआ छोड़कर चले जाते हैं |)
पोनू : मेरे साथ  ऐसा ..हर दफा होता है..अम्मी!..(.रोते हुए जमीन पर लोट जाता है..जरीन उसे संभालती है |)
जरीन: मै तुझे लेकर चलूंगी..चल, तेरा मन पसंद हलवा खिलाती हूँ |
पोनू : कुछ नहीं खाना..मुझसे बात मत करो| (फिर रोने लगता है|)
जरीन: (प्लेट में हलवा देती है )..ले हलवा खा ले..
(पोनू उसे फेक देता है|जरीन किसी तरह उसे बहलाने की कोशिश करती है| कपडे सिलने के लिए सिलाई की मशीन चलाने लगती है| इसीबीच मोहल्ला सुधार समिति वाले शुक्ला जी आते हैं | )
शुक्ला: जरीन आपा! ..ओ जरीन आपा!
जरीन: जी ,शुक्ला जी आइए..बैठिए |
शुक्ला : जी ठीक है ,बैठने का वख्त नहीं है ..आप अपने लडके का नाम और उम्र लिखवा दीजिए..मै एम्.एल.ए.साहब की मीटिंग में जा रहा हूँ |वहाँ उसके दाखिले की बात करूंगा..
जरीन: जी शुक्ला जी! अगर ऐसा हो जाए तो बड़ी मेहेरबानी होगी |..लिख लीजिए-नाम है - परवेज,उम्र 12 साल|
शुक्ला: कोई विकलांगता का प्रमाणपत्र है ?
जरीन: और तो कुछ भी नहीं है मेरे पास..
शुक्ला: उसको और क्या परेशानी है  ?
जरीन: परेशानी तो कुछ भी नहीं है शुक्ला साहब!..अब क्या बताऊ, एक देखने के अलावा मेरा परवेज हर काम में मेरे तीनो बच्चो में सबसे ज्यादा हुशियार है|
शुक्ला: आप चिंता  न  करे..इसका दाखिला कराऊंगा..
जरीन: जी शुक्रिया शुक्ला जी |
(नजमा और अजहर फिल्म देखकर आते हैं )
नजमा: यार,क्या मस्त मूवी बनाई है..गूंगी बच्ची का रोल कितना बढ़िया है..
अजहर: हां,और वो गाना भी  बेहतरीन है..सेल्फी..वाला|
(परवेज गाना गाता हुआ आता है|)
परवेज: चल बेटा सेल्फी ले ले रे..
नजमा: तुझे कैसे मालूम?
परवेज: मुझे सल्लू भाई  की सारी फिल्मो के गाने और स्टोरी याद हैं |
नजमा: एक बात तो है अम्मी! हमारा  पोनू है बहुत इंटेलीजेंट |
जरीन: बात तो तू ठीक कह रही है|..बस इसका स्कूल में दाखिला हो जाए..|अभी शुक्ला जी आये थे,इसका दाखिला कराने  की बात कह रहे थे|
नजमा: हो जाएगा अम्मी! ..अब तो सरकार ने विज्ञापन  भी निकाल दिया है.. 
जरीन: अरे,  तुझे क्या मालूम, लाचार बेवा की कौन सुनता है..देखा था..प्रिंसिपल ने कैसे बात की थी|
(शुक्ला जी का प्रवेश..)
शुक्ला जी: जरीन आपा,..क्या कर रही हैं...
जरीन: ..करना क्या..बस घर के काम कर रही हूँ ..
शुक्लाजी:- छोडिये ये सब चलिए परवेज का दाखिला कराने चलते हैं..
जरीन:- जी चलिए शुक्ला जी मैं तो आपका इंतज़ार कर रही थी|
(जरीन,परवेज के साथ शुक्लाजी स्थानीय स्कूल पहुंचते है| एडमीशन इंचार्ज से मिलते है| )
शुक्लाजी:- मास्टर साहब ,ज़रा इस बच्चे का दाखिला कराना है ..
एडमीशन इंचार्ज: - (सर झुकाए हुए कुछ काम करते हुए )जरूर कराइए ,हम इसी के लिए बैठे हैं जनाब|(सर उठाकर देखते हुए)...लेकिन भाई साहब ,ये तो ब्लाइंड बच्चा है...
शुक्ला जी :- फिर क्या हुआ..?
एडमीशन इंचार्ज:- इसका तो दाखिला नहीं हो सकता...
शुक्ला जी;-- क्या बात करते हो..कौन है तुम्हारा प्रिंसिपल ज़रा उससे मिलवाओ..एम्.एल.ए. से लिखवाके लाया हूँ|
एडमीशन इंचार्ज:- जी जनाब ,प्रिंसिपल साहब उधर सामने वाले कमरे में बैठे हैं..
शुक्ला जी:- चलो जरीन आपा..(तीनो प्रिंसिपल के आफिस की और जाते हैं | साहब का दरबान बताता है| )
रामलाल:- साहब अभी बिजी है|
शुक्ला जी;- उनको बता दो नेता जी आये है ,ये मेरा कार्ड है..
रामलाल :- रुकिए ,देखता हूँ ..
(नेता का कार्ड देखकर प्रिंसिपल बुला लेता है|)
शुक्ला जी:- साहब,मैं इस परवेज के दाखिले के लिए आया हूँ |
प्रिंसिपल :- शुक्ला जी,ये बहन जी पहले भी आ चुकी है |इन्हें समझा चुका हूँ |अब ये आपको ले आयीं|..ये बच्चा पढेगा कैसे? लिखेगा कैसे?...इसे ब्लाइंड स्कूल में दाखिल कराओ|
शुक्लाजी;- ब्लाइंड स्कूल तो यहाँ कही है नहीं...ये तो इसी स्कूल में पढेगा..फिलहाल मैं विधायक जी से लिखवा के आया हूँ..जरूरत पडी तो ऊपर भी जाऊंगा|
प्रिंसिपल:- आप तो नाराज होने लगे..बैठिये..आप भी बैठिये बहन  जी| रामलाल!..ज़रा एडमीशन इंचार्ज को बुलाओ..
रामलाल :- जी साब!
एडमीशन इंचार्ज:- सर,ये बहन जी दो बार पहले भी आ चुकी है |इन्हें समझा चुके हैं|
 प्रिसिपल:- कोई बात नहीं समावेशी शिक्षा के अंतर्गत अभी इनका दाखिला कर लेते हैं| फिर देखते हैं |
एडमीशन इंचार्ज:- ठीक है सर|..किसकी क्लास में भेजूं ..
प्रिंसिपल:- शर्मा जी की क्लास में भेजो|..जाइए आप भी शर्मा जी से मिल लीजिए|..रामलाल,जाओ इन्हें 6 बी के क्लास टीचर  पी.के.शर्मा जी से मिलवाओ|
रामलाल:- आइये..(कमरे से बाहर निकल कर ) क्या नेता जी ..हमारे स्कूल में इस अंधे बच्चे का दाखिला करा रहे हो?...
शुक्लाजी:- (रामलाल का कंधा पकड़कर हिलाते हुए)..तू कौन है ?तुझे क्या तकलीफ है?..दुबारा इस बच्चे को अंधा कहा तो नौकरी साफ़ हो जायेगी|
रामलाल:- (हाथ जोड़कर )गलती हो गयी साहब!... लीजिए ये शर्मा जी बैठे हैं ..आप बात कर लीजिए|
शुक्ला जी:- शर्मा जी! इस बच्चे का दाखिला आपकी क्लास में हुआ है|
शर्मा जी:- ज़रा पेपर्स दिखाइए..ओ ..नो..आप ज़रा बैठिये ,मैं प्रिंसिपल से मिलकर आता हूँ|
(प्रिसिपल के कमरे में )
शर्माजी:- ये क्या किया सर?..मैं ही मिला था दुश्मनी निभाने को..मेरी क्लास में ...ब्लाइंड बच्चा कैसे पढेगा..कैसे लिखेगा..मेरे बस का नहीं है सर!...कोई स्पेशल टीचर भी नहीं है स्कूल में ..
प्रिंसिपल:- शर्मा जी! आप तो घबरा गए..इसके लिए ब्रेल बुक्स आयेंगी|इसे राइटर देना होगा|स्पेशल एजूकेशन टीचर भी चाहिए| सब फ़ाइल बनाकर ऊपर भेजते है|..आप तो जानते है..सरकार इन्क्लूसिव एजूकेशन पर कितना जोरे दे रही है|..हम दाखिले को मना नहीं कर सकते..नौकरी खतरे में पड़ जाएगी..|
शर्मा जी;- मुझसे क्या दुश्मनी है सर ? आपने ..तो कह दिया..
मेरा तो सिर भन्ना रहा है|
प्रिंसिपल:- परेशान ना हो ..इसका भाई अजहर भी 8वीं पढ़ता है| उसके साथ और बच्चो को लेकर इसका एक पीयर ग्रुप बन जाएगा|
(स्टाफ रूम का सीन,अध्यापक बात कर रहे है -)
एक- सुना है इस स्कूल में अब ब्लाइंड बच्चे भी पढेंगे..
दो- अरे पी.के.शर्मा जी की क्लास में दाखिला भी हो गया..

तीन- अब स्कूल का सत्यानाश हो गया|
चार;- सही बात है..वो बच्चा कही गिर गिरा पडा तो मुसीबत हो जायेगी|
शर्माजी;-मेरी जान संकट में है, मैं तो ट्रांसफर की सोच रहा हूँ..
एक:- ये कोई समाधान थोड़ी हुआ ..आप जाओगे तो दूसरे टीचर के गले में हड्डी लटक जायेगी..|आप चिंता मत कीजिए ..हम सब साथ है|..प्रिंसिपल से बात करेंगे|
(छ महीने बाद,अचानक स्कूल के प्रिसिपल के पास फोन आता है )
प्रिंसिपल- हेलो .. जी परवेज हमारे स्कूल में ही पढ़ता है..क्या हुआ ?....जी ..अरे वाह!..ये तो बहुत खुशी की बात है|..जी धन्यवाद|
(घंटी बजाकर ..)
प्रिंसिपल: रामलाल,ज़रा परवेज के क्लासटीचर शर्मा जी को बुलाओ...
रामलाल: क्या हुआ साब!...
प्रिंसिपल:परवेज ने कमाल कर दिया|....बुलाओ शर्मा जी को ..
रामलाल:-साब! बुलाये हैं
शर्मा जी: अब ..क्या है ?
रामलाल: परवेज के चक्कर में ..कोई फोन आया है ..
(प्रिंसिपल के कमरे में )
प्रिंसिपल: अरे शर्मा जी! कमाल हो गया...भई ,आपका परवेज स्टेट का बेस्ट टैलेंटेड स्टूडेंट चुना गया है ...मुबारक हो आपको ,उसने तो स्कूल का भी नाम रोशन कर दिया|3 दिसम्बर को शिक्षा सचिव के हांथो उसको पुरस्कार दिया जाएगा|
शर्मा जी: कमाल है साब! ..वो है तो बहुत टेलेंटेड ..बस देखने की समस्या है वरना..
प्रिंसिपल: बुलाओ ज़रा उसकी अम्मी को बुलाओ..फोन कीजिए|
शर्माजी: जी सर!(फोन लगा कर)..हेलो बहन जी ! आप परवेज की अम्मी बोल रही हैं...अगर आप स्कूल आ सकती है तो..परवेज के बारे में बात करनी है|

शर्मा जी: (प्रिंसिपल से ) सर वो आ रही है...
(जरीन प्रिंसिपल के कमरे में प्रवेश करती है|सभी उसका स्वागत करते हैं|)
जरीन:- साहब! नमस्ते|
प्रिंसिपल- नमस्ते बहन जी!..आपका परवेज तो बहुत होशियार है..उसने तो हमारे स्कूल का नाम रोशन कर दिया|उसे गायन में  में स्टेट में बेहतरीन स्टूडेंट का अवार्ड मिल रहा है|
जरीन:- जी जनाब! ..ये तो बहुत खुशी की बात है| साहब! मैं तो पहले भी आपसे कहती थी कि..बस इसे एक मौक़ा दीजिए..
प्रिंसिपल: जी आप सही कह रही थीं |..अब हमने उसके लिए पढाई का सब इन्तिजाम भी कर लिया है| ब्रेलबुक सरकार से मिल रही है |एक स्पेशल टीचर भी स्कूल में आ गया है|इसे अलग से स्कालरशिप तो मिल ही रही है|आप भी समारोह में चलिए..
जरीन: बड़ी मेहेरबानी है आपकी |
प्रिसिपल: बहन जी ! इसमें मेहरबानी कैसी?..ये तो हमारा काम है|
(सभी पात्र हम होंगे कामियाब/हम होंगे कामियाब /हम होंगे कामियाब कहते हुए मंच से बाहर जाते हैं| )

############################################################प्रस्तुति: भारतेंदु मिश्र 
  



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