शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

नया नाटक--

          #1 #
साथ पढेंगे साथ बढ़ेंगे

(शिक्षा विभाग में बच्चो द्वारा मंचित पुरस्कृत नाटक )
(एक विद्यालय के दो बच्चे एक साथ एक ही मोहल्ले से मेट्रो पकड़कर स्कूल आते जाते हैं| एक लड़का है और एक लड़की| स्थान दिल्ली: कश्मीरी गेट के पास का स्कूल| सीन: स्कूल  की छुट्टी-हो गयी है| )
राहुल: चल नीलू...चल..नहीं तो 2.05 वाली मेट्रो निकल जायेगी|
नीलू: निकल जाने दे ...मुझे भूख  लग  रही है... 
राहुल:.. चल, कश्मीरी गेट ..मैकडी में बर्गर खाते हैं |
नीलू; .. ठीक है..चल|
(कश्मीरी गेट मेट्रोस्टेशन - मैकडी का सीन )
राहुल: भाई! दो बर्गर ....
(दोनों बर्गर खाते है इसी बीच नीलू के पड़ोस के अंकल चौधरी उन्हें हँसते बतियाते देख लेते है| )
चौधरी: ओ.. तेरी की ..या तो अपने शर्मा की छोरी से|..छोरे के साथ ..बिगड़ गयी| चल भई ,एक फोटू खींच लेते हैं |
(चौधरी फोन पर शर्मा को बताता है)
चौधरी: शर्मा!..भई ..तेरी छोरी बिगड़ गयी...
शर्मा: क्या हुआ चौधरी साहब..
चौधरी: भई ,तेरी छोरी कश्मीरी गेट में एक छोरे के साथ मस्ती कर रही है|
शर्मा: क्या  कह रहे हो..हमारी  नीलू ऐसी ना है|तुझे कोई  गलतफहमी हुई होगी|
चौधरी: भई , तू चिंता  न  कर ,मन्ने  फोटू खींच  ली है| शाम को दिखाता हूँ |
(राहुल नीलू का मेट्रो से उतर कर हाथ मिलाकर अपने अपने घर की और रवाना हो जाते हैं )
नीलू की माँ : ...आ गयी छोरी..
नीलू: ..ले बैग धर दे..(माँ के गोद में बैग रख देती है )
नीलू की माँ: थक गयी छोरी...चला  हाँथ  मुह  धो  ले..खाना खा ले|
नीलू: सब्जी  क्या बनायी है ?
नीलू की माँ: घिया की ...
नीलू : छि...मुझे भूख  नहीं है..
(फोन  की घंटी..)
नीलू: हेलो! राहुल!
राहुल: हाँ बोल!..यार मेरी कापी तेरे बैग में चली गयी है..मेरा होम वर्क कर देना..मै क्यों..करूंगी ?..चल चल| अच्छा कल याद से कापी लेती  आना|
नीलू: देख याद रहेगा तो ले आऊँगी...बाय|
(शर्मा जी कुछ गुस्से में आते हैं )
शर्मा: नीलू!....ए नीलू!..ये किससे बात कर रही है ?
नीलू:  दोस्त  है पापा!
शर्मा: के नाम  है?
नीलू: राहुल!...
शर्मा: तेरी शिकायत मिली है..तू पढ्न खातिर जा रही है कि दोस्त बनान वास्ते सकूल जा रही है?..अभी चौधरी से मिल के आता हूँ ..फिर तेरी खबर लेता हूँ |
(चौधरी के घर )
चौधरी: आ भई ,शर्मा ! देख मै तेरी छोरी को पहचानूं ,..मन्ने सोची कि तुझे खबर करना जरूरी सै |
शर्मा: दिखा भई !(मोबाइल में फोटो देखकर )..ओ बावली पूछ ..या तो म्हारी छोरी से| बहुत ठीक करा तू ने| इबा इसकी खबर लेता हूँ|
चौधरी: भई ,मै तो अपनी छोरी ने घर ते बाहर न निकडन दिया| बारहवी तक प्राइवेट पढाई कराई, फिर ब्याह करा के अपने घर भेज दई |
शर्मा: ठीक कह रहे हो चौधरी साब! ...अब जान दो ..थारी बड़ी मेहेरबानी|
चौधरी: भई मन्ने छोटा  मत न बना ,जे क्या बात है..थारी छोरी ,म्हारी छोरी..जे तो म्हारो फर्ज से|
शर्मा: ठीक है भाई,इब चलूँ |
चौधरी: थोड़ा छोरी ने टाईट  करा दे|..छोरे का पता कर..कौन का है ?
शर्मा: ठीक  है.. नमस्कार|
(शर्मा घर आकर..)
शर्मा: नीलू!..ओ री नीलू...कहाँ मर गयी ?
नीलू: जी पापा..
शर्मा: इधर आ तू..(कान खींचते हुए..थप्पड़ मारकर..) जे छोरा कौन से ?
नीलू: राहुल|...हमारे साथ पढ़ता है|
शर्मा: जे पढाई हो रही है..कश्मीरी गेट के होटल में ..अरी कहाँ मर गयी ..भागवान!.. गयी भैस पानी में..
 नीलू की माँ: कि होया ?
शर्मा: पूरे मोहल्ले में नाक कटवायेगी  या छोरी|.. तू ध्यान  न  रख सके है?...कल मेरे साथ सकूल चलेगी| सुसरे छोरे को वही ठोंकता हूँ |
(प्रधानाचार्य का कमरा )
शर्मा: आप के पढाओ हो ?..या म्हारी छोरी किसी छोरे के साथ मैकडी में बर्गर खा रही है ....जे छोरा कौन सा है उसने बुलवाओ..देखो जे फोटू |
प्रधानाचार्य: आप बैठिये शर्मा जी!....जाओ बेटा ज़रा अपने क्लास टीचर को और इस लडके को बुलाओ|
नीलू: यस सर!
(मिसेज गुलाटी और राहुल के साथ नीलू का प्रवेश )
गुलाटी: क्या हुआ सर!
प्रधानाचार्य: ये शर्मा जी ..
शर्मा: अरे ! मैडम ..जे देखो फोटू देख लो|
गुलाटी: तो क्या हुआ..?बर्गर खा रहे हैं ..इसमे क्या ?
शर्मा: ..कुछ भी न हुआ?..मैडम तुम म्हारे साथ ऐसे बर्गर खा सको हो ?
गुलाटी: चलो मगाओ ,हम सब के लिए सब एक साथ खायेंगे,..फोटो भी खिचवायेंगे|
शर्मा: जे सही लगा रहा है आपकू|
गुलाटी : साथ बैठ के बर्गर खा लिया तो क्या हो गया?..बेटा नीलू ,बाहर का खाना रोज रोज ठीक नहीं होता|
नीलू: यस मेम |
प्रधानाचार्य: साथ बैठ के खाने से ,हाथ मिलाने से,साथ आने जाने से लड़का लड़की में विश्वास बढ़ता है| एक दूसरे की सुरक्षा का भाव बनाता है|यही हमारे समाज की जरूरत है|
(सभी कलाकार एक दूसरे का हाथ पकड़कर झूमते हुए दो बार कहते हैं --साथ पढेंगे साथ बढ़ेंगे|)

@ भारतेंदु मिश्र

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