शनिवार, 13 जून 2020

चित्र :: संदीप राशिनकर 
लघु कथा

कनबतियां  @ भारतेंदु मिश्र 



प्रोफेसर चैतन्य सिंह कनबतियां करने के शौक़ीन थे| मीटिंग से पहले कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के कमरे में घुसकर उनके कान में कुछ कहा।
प्राचार्य मुस्कुराए सिर हिलाकर बोले " ठीक है... केवल दो ।"
बगल के हाल में मीटिंग शुरू होने को थी शिक्षकों की समस्याओं पर विचार होना था।शिक्षक प्राचार्य के सम्मान में उठ कर खड़े हुए
इसी बीच चैतन्य सिंह ने बैठे बैठे दो गालियां प्राचार्य को देते हुए कहा-"हरामी,...कमीने ..हमारी मांगें पूरी कर..."
दूसरे शिक्षक समझाने दौड़े, भाषा की ...मर्यादा की बात करने लगे।..
समझौते की मुद्रा बनी लेकिन असल मुद्दा खो गया। प्राचार्य ने चैतन्य सिंह को माफ कर महानता का परिचय देते हुए उन्हें गुलदस्ता भेंट किया।
सबने एक सुर से कामरेड चैतन्य जिंदाबाद कहकर उन्हें अपना नेता बना लिया। साथी शिक्षक टूटी कुर्सियों पर अपनी तशरीफ टिकाकर देर तक तालियाँ बजाते रहे|
संपर्क :
9868031384

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