लेखक-भारतेंदु मिश्र
(परवेज उर्फ़ पोनू एक
नेत्रहीन बालक है| उसकी विधवा मा उस बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए बहुत परेशान
है,स्थान दिल्ली
की एक सामान्य किन्तु मलिन बस्ती –शास्त्री पार्क| घर का सीन )
जरीन: क्या बताऊ
?...सब तरफ से हार गयी हूँ ..कोई मेरे बेटे
का दाखिला नहीं करता|(घर में बर्तन साफ़ करते हुए बार बार आंसू
निकल आते हैं |)
नजमा: (अखबार का
पन्ना लेकर )..अम्मी...ओ अम्मी!...अखबार देखा
आपने..?
जरीन: अरे
..रहने दे ,कंही भूकंप आया होगा,कोई हादसा होगा... किसी की मौत की खबर होगी ?..अच्छी
खबर तो कुछ होती
नहीं ..
नजमा: नहीं..अम्मी
!सरकार ने विज्ञापन निकाला है |अब ब्लाइंड
बच्चे भी अपने घर के करीब के स्कूल में पढ़ाई कर सकेंगे..
जरीन: (झाडू फेक कर
नजमा को गले लगाते हुए )..हाय...नजमा ! तू सच कह रही है ?...हाय ,अल्ला!..
नजमा: हाँ !..अम्मी
मैं सच कह रही हूँ |ये अखबार में लिखा है..
जरीन: काश!...मेरे
परवेज का दाखिला हो जाए..
नजमा: चलिए
..अमजद के स्कूल चलते हैं |दोनों भाई एक
साथ जाया करेंगे...
जरीन: चल
बेटा!..पोनू ! स्कूल चलते हैं|
(स्कूल पहुंचकर
,दाखिला इंचार्ज के पास..)
जरीन: नमस्ते ,साहब!
इंचार्ज: जी नमस्ते,
जरीन: साब,मेरे
लडके का दाखिला करना है| रजिस्ट्रेशन कर
लीजिए..
(बिना सर
उठाये..लिखते हुए )
इंचार्ज:
जी,बच्चे का नाम ?
जरीन: जी परवेज,..
इंचार्ज: उम्र ?
जरीन: 12 साल|
इंचार्ज:(सर
उठाकर..) कहाँ है बच्चा ?
जरीन: जी! साब,ये
रहा ...
इंचार्ज: बहन जी ये
तो ब्लाइंड हैं ?
नजमा: तो क्या
हुआ?..अखबार में आया है सभी तरह के बच्चे घर के पास के स्कूल में पढ़ सकते हैं |
इंचार्ज: ठीक है ,मै ..तो कह नहीं सकता, आइए ..आप हमारे
प्रिसिपल साहब से मिल लीजिए..
नजमा : जी ठीक है..
(दाखिला इंचार्ज के
साथ तीनो प्रिंसिपल के कमरे की ओर जाते हैं|)
इंचार्ज:
(चपरासी से ) रामलाल!..साहब हैं?
रामलाल : बैठे हैं
,जाइए..
इंचार्ज: (भीतर जा
कर ) सर! ये बहन जी इस ब्लाइंड बच्चे के दाखिले के लिए आयी हैं ...
प्रिंसिपल: जी बताए
...
जरीन: साहब ! हमारा
एक बच्चा यही पढ़ता है..मेरे इस बच्चे का भी दाखिला कर लीजिए..दोनों भाई साथ आ जाया
करेंगे ..
नजमा: सर! ..ये
देखिए ..आज के अखबार में भी विज्ञापन निकला है..
प्रिसिपल: देखिए ये नामुमकिन
है..आपका वो बच्चा नार्मल है| ये ब्लाइंड है|..इसे ब्लाइंड स्कूल में ले जाइए..
नजमा: लेकिन सर! ये
अखबार..
प्रिंसिपल:
जाइए..हमारा समय बर्बाद मत कीजिए..
नजमा: लेकिन सर! ये
विज्ञापन ...
प्रिंसिपल: तो जाइए
...अखबार वालो के पास जाइए ..हमारा समय बर्बाद मत कीजिए..रामलाल!..इन्हें बाहर
करो..
जरीन: साहबा मेहेरबानी कीजिए..
रामलाल: आपको समझ
नहीं आता...साहब बहुत बिजी हैं
..चलिए बाहर चलिए..|
(घर वापस आकर,दूसरे दिन )
नजमा; अम्मी!..आपने
हमारे कपडे प्रेस नहीं किए..आप हमारा कोई काम नहीं करती हैं ...
जरीन: हाँ नहीं
किए..तू अपना काम खुद कर लिया कर..अब बड़ी हो गयी है...आज छुट्टी के दिन तुझे कहा
जाना है ?
नजमा: मुझे मूवी
देखने जाना है...
जरीन: अभी पिछले
महीने तो गयी थी..
नजमा: तो क्या हुआ
अब बजरंगी भाईजान नई मूवी देखने जा रही हूँ |
अजहर : मै भी चलूँगा,आपा!..
नजमा: मै अपनी सहेली
के साथ जा रही हूँ ..तू कहाँ कबाब में हड्डी बनेगा ?
पोनू : आपा! आपा!
..मुझे भी ले चलो..
नजमा : लो कर लो
बात..हाय,अल्ला, आँखों से दिखाई नहीं देता ...मूवी देखेंगा..
जरीन: जाना है तो
तीनो साथ जायेंगे..
नजमा: पोनू को तो
नहीं ले जाऊगी ..मै इसको पकड़ के घूमूंगी कि मूवी देखूंगी..न..अम्मी ... इसे नहीं ले जाऊंगी|
अजहर: ले चलते हैं ..हम दोनों मिलके संभाल लेंगे..
नजमा: तू अकेले
संभाल सके तो ले चल, मै तो नहीं ले जाऊंगी..
(जरीन के बार बार
कहने पर भी नजमा और अजहर पोनू को रोता हुआ छोड़कर चले जाते हैं |)
पोनू : मेरे
साथ ऐसा ..हर दफा होता है..अम्मी!..(.रोते
हुए जमीन पर लोट जाता है..जरीन उसे संभालती है |)
जरीन: मै तुझे लेकर
चलूंगी..चल, तेरा मन पसंद हलवा खिलाती हूँ |
पोनू : कुछ नहीं
खाना..मुझसे बात मत करो| (फिर रोने लगता है|)
जरीन: (प्लेट में
हलवा देती है )..ले हलवा खा ले..
(पोनू उसे फेक देता
है|जरीन किसी तरह उसे बहलाने की कोशिश करती है| कपडे सिलने के लिए सिलाई की मशीन
चलाने लगती है| इसीबीच मोहल्ला सुधार समिति वाले शुक्ला जी आते हैं | )
शुक्ला: जरीन आपा!
..ओ जरीन आपा!
जरीन: जी ,शुक्ला जी
आइए..बैठिए |
शुक्ला : जी ठीक है
,बैठने का वख्त नहीं है ..आप अपने लडके का नाम और उम्र लिखवा दीजिए..मै
एम्.एल.ए.साहब की मीटिंग में जा रहा हूँ |वहाँ उसके दाखिले की बात करूंगा..
जरीन: जी शुक्ला जी!
अगर ऐसा हो जाए तो बड़ी मेहेरबानी होगी |..लिख लीजिए-नाम है - परवेज,उम्र 12 साल|
शुक्ला: कोई
विकलांगता का प्रमाणपत्र है ?
जरीन: और तो कुछ भी
नहीं है मेरे पास..
शुक्ला: उसको और
क्या परेशानी है ?
जरीन: परेशानी तो
कुछ भी नहीं है शुक्ला साहब!..अब क्या बताऊ, एक देखने के अलावा मेरा परवेज हर काम
में मेरे तीनो बच्चो में सबसे ज्यादा हुशियार है|
शुक्ला: आप
चिंता न
करे..इसका दाखिला कराऊंगा..
जरीन: जी शुक्रिया
शुक्ला जी |
(नजमा और अजहर फिल्म
देखकर आते हैं )
नजमा: यार,क्या मस्त
मूवी बनाई है..गूंगी बच्ची का रोल कितना बढ़िया है..
अजहर: हां,और वो
गाना भी बेहतरीन है..सेल्फी..वाला|
(परवेज गाना गाता
हुआ आता है|)
परवेज: चल बेटा
सेल्फी ले ले रे..
नजमा: तुझे कैसे
मालूम?
परवेज: मुझे सल्लू
भाई की सारी फिल्मो के गाने और स्टोरी याद
हैं |
नजमा: एक बात तो है
अम्मी! हमारा पोनू है बहुत इंटेलीजेंट |
जरीन: बात तो तू ठीक
कह रही है|..बस इसका स्कूल में दाखिला हो जाए..|अभी शुक्ला जी आये थे,इसका दाखिला
कराने की बात कह रहे थे|
नजमा: हो जाएगा
अम्मी! ..अब तो सरकार ने विज्ञापन भी
निकाल दिया है..
जरीन: अरे, तुझे क्या मालूम, लाचार बेवा की कौन सुनता
है..देखा था..प्रिंसिपल ने कैसे बात की थी|
(शुक्ला जी का
प्रवेश..)
शुक्ला जी: जरीन
आपा,..क्या कर रही हैं...
जरीन: ..करना
क्या..बस घर के काम कर रही हूँ ..
शुक्लाजी:- छोडिये
ये सब चलिए परवेज का दाखिला कराने चलते हैं..
जरीन:- जी चलिए
शुक्ला जी मैं तो आपका इंतज़ार कर रही थी|
(जरीन,परवेज के साथ
शुक्लाजी स्थानीय स्कूल पहुंचते है| एडमीशन इंचार्ज से मिलते है| )
शुक्लाजी:- मास्टर
साहब ,ज़रा इस बच्चे का दाखिला कराना है ..
एडमीशन इंचार्ज: -
(सर झुकाए हुए कुछ काम करते हुए )जरूर कराइए ,हम इसी के लिए बैठे हैं जनाब|(सर
उठाकर देखते हुए)...लेकिन भाई साहब ,ये तो ब्लाइंड बच्चा है...
शुक्ला जी :- फिर क्या
हुआ..?
एडमीशन इंचार्ज:-
इसका तो दाखिला नहीं हो सकता...
शुक्ला जी;-- क्या
बात करते हो..कौन है तुम्हारा प्रिंसिपल ज़रा उससे मिलवाओ..एम्.एल.ए. से लिखवाके
लाया हूँ|
एडमीशन इंचार्ज:- जी
जनाब ,प्रिंसिपल साहब उधर सामने वाले कमरे में बैठे हैं..
शुक्ला जी:- चलो जरीन
आपा..(तीनो प्रिंसिपल के आफिस की और जाते हैं | साहब का दरबान बताता है| )
रामलाल:- साहब अभी
बिजी है|
शुक्ला जी;- उनको
बता दो नेता जी आये है ,ये मेरा कार्ड है..
रामलाल :- रुकिए
,देखता हूँ ..
(नेता का कार्ड
देखकर प्रिंसिपल बुला लेता है|)
शुक्ला जी:- साहब,मैं
इस परवेज के दाखिले के लिए आया हूँ |
प्रिंसिपल :- शुक्ला
जी,ये बहन जी पहले भी आ चुकी है |इन्हें समझा चुका हूँ |अब ये आपको ले आयीं|..ये
बच्चा पढेगा कैसे? लिखेगा कैसे?...इसे ब्लाइंड स्कूल में दाखिल कराओ|
शुक्लाजी;- ब्लाइंड
स्कूल तो यहाँ कही है नहीं...ये तो इसी स्कूल में पढेगा..फिलहाल मैं विधायक जी से
लिखवा के आया हूँ..जरूरत पडी तो ऊपर भी जाऊंगा|
प्रिंसिपल:- आप तो
नाराज होने लगे..बैठिये..आप भी बैठिये बहन
जी| रामलाल!..ज़रा एडमीशन इंचार्ज को बुलाओ..
रामलाल :- जी साब!
एडमीशन इंचार्ज:-
सर,ये बहन जी दो बार पहले भी आ चुकी है |इन्हें समझा चुके हैं|
प्रिसिपल:- कोई बात नहीं समावेशी शिक्षा के
अंतर्गत अभी इनका दाखिला कर लेते हैं| फिर देखते हैं |
एडमीशन इंचार्ज:-
ठीक है सर|..किसकी क्लास में भेजूं ..
प्रिंसिपल:- शर्मा
जी की क्लास में भेजो|..जाइए आप भी शर्मा जी से मिल लीजिए|..रामलाल,जाओ इन्हें 6
बी के क्लास टीचर पी.के.शर्मा जी से
मिलवाओ|
रामलाल:-
आइये..(कमरे से बाहर निकल कर ) क्या नेता जी ..हमारे स्कूल में इस अंधे बच्चे का
दाखिला करा रहे हो?...
शुक्लाजी:- (रामलाल
का कंधा पकड़कर हिलाते हुए)..तू कौन है ?तुझे क्या तकलीफ है?..दुबारा इस बच्चे को
अंधा कहा तो …नौकरी साफ़ हो जायेगी|
रामलाल:- (हाथ जोड़कर
)गलती हो गयी साहब!... लीजिए ये शर्मा जी बैठे हैं ..आप बात कर लीजिए|
शुक्ला जी:- शर्मा
जी! इस बच्चे का दाखिला आपकी क्लास में हुआ है|
शर्मा जी:- ज़रा
पेपर्स दिखाइए..ओ ..नो..आप ज़रा बैठिये ,मैं प्रिंसिपल से मिलकर आता हूँ|
(प्रिसिपल के कमरे
में )
शर्माजी:- ये क्या
किया सर?..मैं ही मिला था दुश्मनी निभाने को..मेरी क्लास में ...ब्लाइंड बच्चा
कैसे पढेगा..कैसे लिखेगा..मेरे बस का नहीं है सर!...कोई स्पेशल टीचर भी नहीं है
स्कूल में ..
प्रिंसिपल:- शर्मा
जी! आप तो घबरा गए..इसके लिए ब्रेल बुक्स आयेंगी|इसे राइटर देना होगा|स्पेशल
एजूकेशन टीचर भी चाहिए| सब फ़ाइल बनाकर ऊपर भेजते है|..आप तो जानते है..सरकार
इन्क्लूसिव एजूकेशन पर कितना जोरे दे रही है|..हम दाखिले को मना नहीं कर
सकते..नौकरी खतरे में पड़ जाएगी..|
शर्मा जी;- मुझसे
क्या दुश्मनी है सर ? आपने ..तो कह दिया..
मेरा तो सिर भन्ना
रहा है|
प्रिंसिपल:- परेशान
ना हो ..इसका भाई अजहर भी 8वीं पढ़ता है| उसके साथ और बच्चो को लेकर इसका एक पीयर
ग्रुप बन जाएगा|
(स्टाफ रूम का
सीन,अध्यापक बात कर रहे है -)
एक- सुना है इस
स्कूल में अब ब्लाइंड बच्चे भी पढेंगे..
दो- अरे पी.के.शर्मा
जी की क्लास में दाखिला भी हो गया..
तीन- अब स्कूल का
सत्यानाश हो गया|
चार;- सही बात
है..वो बच्चा कही गिर गिरा पडा तो मुसीबत हो जायेगी|
शर्माजी;-मेरी जान
संकट में है, मैं तो ट्रांसफर की सोच रहा हूँ..
एक:- ये कोई समाधान
थोड़ी हुआ ..आप जाओगे तो दूसरे टीचर के गले में हड्डी लटक जायेगी..|आप चिंता मत
कीजिए ..हम सब साथ है|..प्रिंसिपल से बात करेंगे|
(छ महीने बाद,अचानक
स्कूल के प्रिसिपल के पास फोन आता है )
प्रिंसिपल- हेलो ..
जी परवेज हमारे स्कूल में ही पढ़ता है..क्या हुआ ?....जी ..अरे वाह!..ये तो बहुत
खुशी की बात है|..जी धन्यवाद|
(घंटी बजाकर ..)
प्रिंसिपल:
रामलाल,ज़रा परवेज के क्लासटीचर शर्मा जी को बुलाओ...
रामलाल: क्या हुआ
साब!...
प्रिंसिपल:परवेज ने
कमाल कर दिया|....बुलाओ शर्मा जी को ..
रामलाल:-साब! बुलाये
हैं
शर्मा जी: अब ..क्या
है ?
रामलाल: परवेज के
चक्कर में ..कोई फोन आया है ..
(प्रिंसिपल के कमरे
में )
प्रिंसिपल: अरे
शर्मा जी! कमाल हो गया...भई ,आपका परवेज स्टेट का बेस्ट टैलेंटेड स्टूडेंट चुना
गया है ...मुबारक हो आपको ,उसने तो स्कूल का भी नाम रोशन कर दिया|3 दिसम्बर को
शिक्षा सचिव के हांथो उसको पुरस्कार दिया जाएगा|
शर्मा जी: कमाल है
साब! ..वो है तो बहुत टेलेंटेड ..बस देखने की समस्या है वरना..
प्रिंसिपल: बुलाओ
ज़रा उसकी अम्मी को बुलाओ..फोन कीजिए|
शर्माजी: जी सर!(फोन
लगा कर)..हेलो बहन जी ! आप परवेज की अम्मी बोल रही हैं...अगर आप स्कूल आ सकती है
तो..परवेज के बारे में बात करनी है|
शर्मा जी:
(प्रिंसिपल से ) सर वो आ रही है...
(जरीन प्रिंसिपल के
कमरे में प्रवेश करती है|सभी उसका स्वागत करते हैं|)
जरीन:- साहब!
नमस्ते|
प्रिंसिपल- नमस्ते
बहन जी!..आपका परवेज तो बहुत होशियार है..उसने तो हमारे स्कूल का नाम रोशन कर
दिया|उसे गायन में में स्टेट में बेहतरीन
स्टूडेंट का अवार्ड मिल रहा है|
जरीन:- जी जनाब!
..ये तो बहुत खुशी की बात है| साहब! मैं तो पहले भी आपसे कहती थी कि..बस इसे एक
मौक़ा दीजिए..
प्रिंसिपल: जी आप
सही कह रही थीं |..अब हमने उसके लिए पढाई का सब इन्तिजाम भी कर लिया है| ब्रेलबुक
सरकार से मिल रही है |एक स्पेशल टीचर भी स्कूल में आ गया है|इसे अलग से स्कालरशिप
तो मिल ही रही है|आप भी समारोह में चलिए..
जरीन: बड़ी मेहेरबानी
है आपकी |
प्रिसिपल: बहन जी ! इसमें
मेहरबानी कैसी?..ये तो हमारा काम है|
############################################################प्रस्तुति: भारतेंदु मिश्र
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